Friday, February 1, 2013

Poem written by me long time ago

सूना - सूना घर

सूना - सूना  सा ये घर नज़र  आता है ,
शायद तेरे जाने का असर नज़र आता है ।
यूँ  तो अकेले रहने की भी आदत थी हमें ,
पर अब तो अकेलापन भी पराया सा नज़र आता है ।। सूना -सूना ....

क्या कहूँ इसे, कि याद आती है तेरी,
या खुद का स्वार्थ नज़र आता है ।
तुम भी कहोगे सब बेकार की बातें हैं ,
चेहरे से तो ये शक्श बेफिकर नज़र आता है ।। सूना -सूना ....

दिल के आलम को कौन समझ सका है ,
जिसने समझा वो ही साथ ठहर पाता  है ।
जीने को तो हम यूं भी जी लेंगे ,
एक खुदा तो है जो सदा साथ निभाता है ।। सूना -सूना ....

Wednesday, February 17, 2010

अभिभावक का दर्द

आज एक अभिभावक से मुलाकात हुई ,
पढाई के अलावा भी कुछ बात हुई |
माँ बाप की वो एक ही संतान है ,
जिसके भविष्य को लेकर वे परेशान हैं |

IIT  कराने के लिए सब कुछ लुटा दिया ,
Loan का बोझ भी सर पे चढ़ा लिया |
अपनी तमन्नाओं को दिल में दबा लिया ,
औलाद की खातिर सब कुछ लुटा दिया |

पर बेटे को इसकी चींता कहाँ है ,
उसने उनके दर्द को समझा कहाँ है |
हर फिल्म का फर्स्ट शो देखने जाता है ,
कोचिंग से ज्यादा उपस्थिथि netcafe मे दर्ज कराता है |
पूछने पर बहाने हज़ार बनाता है ,
पढाई का नाम लेकर पैसे उड़ाता है |

एक बार की बात है, माँ-बाप बाज़ार गए थे ,
आइसक्रीम खाने का मन हुआ, पर जेब मे 40 रुपये ही पड़े थे |
उन्हें याद आया बेटे के लिए रजिस्टर भी लेना है ,
बेटे का ध्यान आते ही अपने मन को समझा लिया ,
रजिस्टर लिया, आइसक्रीम खाना भुला दिया | 

ऐसा ही त्याग जाने उन्होंने कितनी बार किया होगा ,
बेटे की खातिर अपनी मन की इच्छायों को दबा लिया होगा |
अपने मन को मार कर जिन्होंने बेटे को सब दिया ,
वही बेटा उनसे झूठ बोलकर  मस्ती करता गया |

माँ-बाप का जीवन तो कट गया ,
जाने उसका भविष्य क्या होगा |
क्या वो अपने बच्चों को उतना भी दे पायेगा जितना उसे मिला था ,
और अगर दे भी पाया तो क्या अपने बच्चे को अपने  जैसा बनाना चाहेगा |

Saturday, December 6, 2008

दिल की आवाज़

ना ज़ात में ना पात में,
बदलाव है जस्बात में|
ना मरने का खौफ है, ना मारने का अपराधबोध,
जाने भविष्य (youth of country) है किस हालात में||
सोचता हूँ जो कर रहा हूँ, आख़िर क्योँ?
क्या जाएगा मेरे साथ में?
चाहता हूँ कोई दुखी ना हो,
पर ये भी कहाँ मेरे हाथ में......