Wednesday, February 17, 2010

अभिभावक का दर्द

आज एक अभिभावक से मुलाकात हुई ,
पढाई के अलावा भी कुछ बात हुई |
माँ बाप की वो एक ही संतान है ,
जिसके भविष्य को लेकर वे परेशान हैं |

IIT  कराने के लिए सब कुछ लुटा दिया ,
Loan का बोझ भी सर पे चढ़ा लिया |
अपनी तमन्नाओं को दिल में दबा लिया ,
औलाद की खातिर सब कुछ लुटा दिया |

पर बेटे को इसकी चींता कहाँ है ,
उसने उनके दर्द को समझा कहाँ है |
हर फिल्म का फर्स्ट शो देखने जाता है ,
कोचिंग से ज्यादा उपस्थिथि netcafe मे दर्ज कराता है |
पूछने पर बहाने हज़ार बनाता है ,
पढाई का नाम लेकर पैसे उड़ाता है |

एक बार की बात है, माँ-बाप बाज़ार गए थे ,
आइसक्रीम खाने का मन हुआ, पर जेब मे 40 रुपये ही पड़े थे |
उन्हें याद आया बेटे के लिए रजिस्टर भी लेना है ,
बेटे का ध्यान आते ही अपने मन को समझा लिया ,
रजिस्टर लिया, आइसक्रीम खाना भुला दिया | 

ऐसा ही त्याग जाने उन्होंने कितनी बार किया होगा ,
बेटे की खातिर अपनी मन की इच्छायों को दबा लिया होगा |
अपने मन को मार कर जिन्होंने बेटे को सब दिया ,
वही बेटा उनसे झूठ बोलकर  मस्ती करता गया |

माँ-बाप का जीवन तो कट गया ,
जाने उसका भविष्य क्या होगा |
क्या वो अपने बच्चों को उतना भी दे पायेगा जितना उसे मिला था ,
और अगर दे भी पाया तो क्या अपने बच्चे को अपने  जैसा बनाना चाहेगा |